Powerful Hanuman Chalisa for Meditation & Miracles । Chakra Healing Secrets । Pt. Vijayshankar Mehta

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जिस तरह की लाइफ स्टाइल हमारी है आने वाले 101 साल में सबसे महंगा प्रोडक्ट यदि कोई होगा तो होगा शांति ढूंढे नहीं मिलेगी। एक बात उन लोगों को अपने कलेजे पे

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लिखकर रखना चाहिए जो शांति की तलाश में हो कि हमारे अलावा ना तो हमको कोई शांत कर सकता है और ना ही हमारे अलावा हमको कोई अशांत कर सकता है। बिल्कुल सही बात है। स्पाइनल कॉर्ड

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जितनी स्ट्रेट होगी शांत होना उतना आसान हो जाएगा। हम सारा खेल स्पाइनल कॉर्ड का है। जिसको हिंदू में मेरुदंड और बातचीत में रीड की हड्डी कहते हैं। हम इसलिए ध्यान में स्ट्रेट स्पाइनल कॉर्ड का

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क्योंकि वो जो लाइफ एनर्जी है वो फ्लो वो नीचे से ऊपर आ जाए इजीली वो फेल हो जाएगा। अब जैसे ही वो स्ट्रेट हुई सुबह-सुबह वही टाइम अटैक कर दो। पहला ही टाइम है। उठ गए सीधे आंख बंद की

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और सीधे हनुमान चालीसा को थ्रू ब्रीथिंग जैसे मेरा हाथ अंदर जा रहा है। इन्हेल जय हनुमान ज्ञान गुण सागर जय कपीश त लोक उजागर अपने नेवल पोर्शन तक लाना रामदूत दलित बलधामा अंजनी पुत्र पवन सुतनामा होठ

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बंद करके बोलना है मेंटल चटिंग वो कहते हैं ना गुरु जी कि सोते टाइम और जैसे ही हम उठते हैं हमारा जो ब्रेन होता है वो एक अलग एनर्जी में होता है एकदम काम डाउन हो चुका है हां एक छोटे बच्चे की तरह होता है आप उसमें जो डाल दो उस समय हम

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क्योंकि आप 7 आठ घंटे के उठे हैं। जी वही मौका है। इसीलिए उस समय की गई मैनिफेस्टेशन बहुत ही लाभदायक होती है। तो यह मेरा अनुरोध है। बिल्कुल। तन की शुद्धि हम स्नान से धन की शुद्धि दान से। हां और

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मन की शुद्धि ध्यान से। वाओ। सो ब्यूटीफुल गुरु जी। [संगीत]

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स्वागत है आप सभी का आपके फेवरेट स्पिरिचुअल पडकास्ट स्पीकिंग ट्री पर और मैं हूं आपके साथ रंगोली शर्मा। दोस्तों अगर आप एक हनुमान जी के भक्त हैं तो आज का पडकास्ट सिर्फ और सिर्फ आपके लिए है। हनुमान चालीसा की पावर का हम सबको पता है। अगर आप एक इंडियन हैं तो आई एम श्योर चाहे

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आप भक्ति से एसोसिएटेड हो या ना हो, चाहे आप भगवान में बिलीव करते हो या ना हो बट हनुमान चालीसा तो सबने सुना है। और आज के पॉडकास्ट में हम मेडिटेशन और हनुमान चालीसा को कंबाइन करने वाले हैं। जी हां, कैसे आप हनुमान चालीसा के थ्रू मेडिटेशन

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कर सकते हैं, ध्यान कर सकते हैं। कैसे आप उसे अपनी लाइफस्टाइल का पार्ट बना सकते हैं और फिर देखिए कि आपकी लाइफ में क्या मिरेकल्स होते हैं हनुमान चालीसा की पावर से और इसी के साथ-साथ हम यह भी जानेंगे कि कैसे आप चक्रा हीलिंग भी कर सकते हैं

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हनुमान चालीसा के थ्रू। जी हां। तो आज के डिस्कशन में यह सभी बातें होने वाली हैं। और आज जो हमारे साथ गेस्ट जुड़े हैं, वो वन ऑफ आवर मोस्ट फेवरेट गेस्ट हैं स्पीकिंग ट्री पर। इनके प्रीवियस वीडियोस को आपने स्पीकिंग ट्री पर बहुत ज्यादा पसंद किया है और इन्होंने हनुमान चालीसा

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पे ही हमारे साथ बहुत से एपिसोड्स किए हैं क्योंकि ये पिछले 15 20 सालों से हनुमान चालीसा पर बात कर रहे हैं। जी हां, मैं इनवाइट करना चाहूंगी पंडित विजय शंकर मेहता जी को। जय जय जय हनुमान गोसाई। कृपा करो गुरुदेव की नाई। बहुत-बहुत स्वागत है

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गुरु जी आपका स्पीकिंग ट्री पर। तो जैसा कि मैंने हमारे दर्शकों को बताया कि आज हमारे साथ वन ऑफ द बेस्ट स्पीकर्स इन इंडिया हनुमान चालीसा के लिए आज हमारे साथ फिर से आप जुड़े हैं और आपके पुराने पडकास्ट को स्पीकिंग ट्री पर बहुत ही

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ज्यादा पसंद किया गया है। तो आज भी कुछ बहुत ही अच्छा होने वाला है। गुरु जी मेरा यह मानना है कि हर इंडियन को चाहे कोई भी ऐज का इंसान हो उसे हनुमान चालीसा के बारे में तो जरूर पता है क्योंकि इतनी पावरफुल है यह चालीसा। तो इससे पहले कि हम ध्यान

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को जाने हनुमान चालीसा के थ्रू। उससे पहले मैं आपके लेंस के थ्रू हनुमान चालीसा की पावर को समझना चाहूंगी। ऐसा कहते हैं कि जब तुलसीदास जी बहुत छोटे थे वो 450 साल पहले लगभग हम तो उन्होंने

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हनुमान जी से सीधी बातचीत की थी। एक बालक की पुकार सुन के हनुमान जी महाराज हनुमान चालीसा की प्रत्येक चौपाई में उतर गए। हम तो हनुमान चालीसा हनुमान जी का शब्दा

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अवतार है। उनका यशगान है। उनका यशगान है। हां। अच्छा यशगान के साथ एक खास बात ये होती है कि जब आप किसी का यशगान करते हैं तो उसके जो गुण होते हैं वो आप में उतरने लगते हैं। जी। तो हनुमान चालीसा का पावर

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ही यह है कि 43 कपलेट्स हैं। दोहे शुरू में 40 चौपाई बीच में एक चौपाई अंत में। अगर आप ठीक रिदमम में लें स्पीड उसकी मेंटेन करें तो 3.5 मिनट से 5 मिनट में पूरी होती है। तो जब आप उसको गाते हैं तो

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क्योंकि वो हनुमान जी का शब्दावतार है। हनुमान जी प्रत्येक पंक्ति में उतरे हैं। तो ये मंत्र है तो उसके मंत्र को गाने से आपकी बॉडी में जो हार्मोनल चेंजेस होते हैं वो बड़े पॉजिटिव हो जाते हैं। वाओ और यही उसकी ताकत है। यही उसकी हनुमान चालीसा

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की शक्ति है। जी इसलिए हमारा कहना रहता है कि हनुमान चालीसा प्रत्येक आदमी करे लेकिन जब करे तो वह यह सोच के उसकी आदत ना बन जाए। एक प्रैक्टिस हो गई कि वो गा लिया पता और कई लोग हैं जिनको मैं देखता हूं कि

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वो हनुमान चालीसा पढ़ते हैं 10 बार 11 बार, तीन बार, पांच बार, सात बार, 101 बार, 108 बार। फिर उनको वो रिजल्ट नहीं मिलता। हम वो बेचैन के बेचैनी ही रहते हैं। उनका गुस्सा खत्म नहीं होता। उनका भय खत्म नहीं होता। उनका कंफ्यूजन नहीं जाता।

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हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं। क्या इसका मतलब भाव से है कि वो उस भाव के साथ उसे नहीं पढ़ पा रहे हैं? हां, भाव भी है हम और समझ भी होना चाहिए। अच्छा तो क्या होता है कि जब हम हनुमान मैं तो वर्षों से कई लोगों को जानता हूं जो हनुमान चालीसा

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पढ़ते हैं पर परेशान मिलते हैं। हम तो मैं जब हनुमान चालीसा पे देश दुनिया में प्रवचन करता था तो मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती थी जब मैं किसी हनुमान भक्त को उदास देखता था। हम क्योंकि हनुमान भक्त को

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उदास नहीं होना चाहिए। ऐसा हां हनुमान जी तो बहुत प्रसन्न रहते हैं और टफ टाइम तो उन्होंने भी देखा सब देख रहे हैं। बिल्कुल लाइफ में आजकल तो बिना स्ट्रगल के कुछ मिलता भी नहीं है। सबको फाइट करना है। अब

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क्या होता है जब लाइफ में स्ट्रगल आता है, संघर्ष आता है तो लोग उसको मिसफर्च्यून मान लेते हैं। दुर्भाग्य मान लेते हैं। संघर्ष और दुर्भाग्य अलग-अलग चीज है। तो जब संघर्ष आए तो आदमी की लाइफ में डेप्थ आ जाती है हम और उसके बाद जो मिलता है उसका

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मजा ही अलग है। तो गुरु जी इसी से हम वो ध्यान की बात करते हैं जो कि आज हमने जैसा कि हमारे दर्शकों को बताया आज एक स्पेशल हनुमान चालीसा पर पडकास्ट है क्योंकि आज हम ध्यान को समझेंगे हनुमान चालीसा से। तो क्या विधि होगी यह ध्यान करने की हनुमान

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चालीसा से? किस समय करना चाहिए?

कितनी बार करना चाहिए? आज आप हमें ये सब बता दीजिए। मैंने ऐसा देखा कि जो लोग हनुमान चालीसा पढ़ते हैं वो स्ट्रगल टाइम में परेशान हो जाते हैं। तो हमको ऐसा लगा कि हनुमान चालीसा का

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प्रत्येक शब्द मंत्र की तरह पावरफुल है। जी। फिर क्यों लोगों को रिजल्ट नहीं मिलता? तो मैंने एक प्रयोग किया कि क्यों ना हनुमान चालीसा को मेडिटेशन से जोड़ा जाए। जी।

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मैं रहता हूं उज्जैन में। हम मध्य प्रदेश में एक नगर है राजा अधिराज दाता अवंतिका नाथ महाकाल महाराज की नगरी 12 ज्योतिर्लिंग में से एक यस तो वहां हमने एक छोटा सा मेडिटेशन सेंटर

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बनाया हनुमान चालीसा से मेडिटेशन सिखाते हैं वहां उसका नाम है शांतम ओके शांतम शब्द लिया है सुंदरकांड की पहली पंक्ति का पहला शब्द शांतम है शांतम शाश्वतम प्रमेय मनगम

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निर्माण शांतिप्रदम और शांत होना हनुमान भक्त के लिए बहुत जरूरी है। देखिए आज जिसको देखो वो अशांत है। कोई कहता नहीं किसी

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से क्योंकि हम सब लोग एक्टिंग करने में इतने माहिर हैं। कि कभी-कभी तो दूसरों को देख के ऐसा लगता है इनका बड़ा अच्छा चल रहा है। अब भी बड़ी प्रॉब्लम है। किसी का अच्छा नहीं चल रहा। खुश होते हुए भी अशांत है। मतलब अशांत तो अब वो बताते ना हो लेकिन और यह

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भी तय है कि जिस तरह की लाइफ स्टाइल हमारी है आने वाले 10-15 साल में सबसे महंगा प्रोडक्ट यदि कोई होगा तो होगा शांति। ढूंढे नहीं मिलेगी। पैसा आ जाएगा लोगों के पास। एक्सपोज़र आ जाएगा। जो भी फैसिलिटीज डे टू

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डे आप चाहते हैं खूब मिल जाएंगी। कंपनियां लोगों को आने जाने की गाड़ियां कुछ लोगों को बाद में हेलीकॉप्टर मिल जाएंगे। एआई के रोबोट आ जाएंगे। पता नहीं क्या-क्या हो जाएगा। लेकिन शांत नहीं हो पाएंगे। तो अब थोड़ा

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समझें इसके साइंस को, इसके आर्ट को कि कोई आदमी शांत कैसे हो सकता है? जी। तो एक बात उन लोगों को अपने कलेजे पे लिखकर रखना चाहिए जो शांति की तलाश में हो कि हमारे

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अलावा ना तो हमको कोई शांत कर सकता है और ना ही हमारे अलावा हमको कोई अशांत कर सकता है। बिल्कुल सही बात है। ये बात जितने अच्छे से समझ में आएगी कि हमारी अशांति का कारण भी हम हैं। हमारी शांति का कारण भी

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हम हैं। अभी क्या किया लोगों ने? खूटियां बना ली। खूटी होती है ना जिसमें कपड़े टांगते हैं। तो पत्नी ने कहा कि मेरी अशांति का कारण पति है। पति रूपी खूटी टांग दी। पति कह रहा है सब कुछ ठीक ही था।

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गड़बड़ यही है। पत्नी से परेशान। मां-बाप बच्चों से अशांति ढूंढ रहे हैं। बच्चे कह रहे हैं मां-बाप के कारण अशांत है। जबकि थ्योरी तो क्लियर है कि आपके अलावा ना तो कोई आपको शांत कर सकता है ना अशांत कर सकता है। एक

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बात दूसरी बात यह है कि जिनको शांति की तलाश हो उनको एक बात बहुत ही अच्छे से समझना पड़ेगी कि हम मनुष्य तीन बातों से बने हैं। शरीर, मन और आत्मा।

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शरीर यानी फिजिकल बॉडी। मन को अंग्रेजी में माइंड कहते हैं। ब्रेन नहीं माइंड। ब्रेन और माइंड अलग है और आत्मा को सोल कहते हैं। जो लोग शरीर पर टिकेंगे केवल बहुत

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सारे लोग हैं। ज्यादातर लोगों की सुबह शरीर से शुरू होती है और रात शरीर पे खत्म हो जाती है। वो आत्मा तक तो जाते ही नहीं। आत्मा तक जाने के लिए जब आप कोशिश करेंगे तो बीच में मन आएगा। वह जाने नहीं देगा आत्मा को क्योंकि मन को अच्छे काम बिल्कुल

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अच्छे नहीं लगते। हमारी अशांति का केंद्रीय मन है। बिल्कुल भागता रहेगा। तो जब तक हां भागता रहेगा। जब तक उसको कंट्रोल नहीं करेंगे आत्मा तक नहीं जाएंगे। आत्मा तक नहीं जाएंगे। शांत नहीं हो सकते। अब ये थ्योरी

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है। तो मैं हनुमान चालीसा पे प्रवचन करता हूं। 2008 से तो बिल्कुल यही करता रहा। जी और 014 14 में मुझे ऐसा लगा कि ऐसा लगता है कि बहुत परेशान से हैं लोग और बढ़ने ही

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वाली है। तो हमने हनुमान चालीसा से मेडिटेशन का एक कोर्स बनाया। 24 मिनट का बनाया। 24 घंटे होते हैं। आप 24 मिनट दे दीजिए हमको। हम अब वो कोर्स बनाया हमने

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हमारे उज्जैन में जहां मैं रहता हूं ना वो 20 16 यानी 2016 में वहां कुंभ का मेला आया हम तो हमने भी कैंप लगाया उसमें हमने उसकी लॉन्चिंग करी आज की भाषा में कहे कोर्स की तो वो कोर्स बनाया 24 मिनट का और

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लोगों से कहा भाई आप 24 मिनट तो स्पेयर कर लो कम से कम 24 घंटे में अब क्या होता है हमसे जो लोग जुड़े हैं बहुत प्यारे लोग हैं गर्दन तो ऐसी हिलाते हैं हमारी बात सुन के, हमारी कथा सुनकर जैसे आज ही मोक्ष ले

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लेंगे और हमारी दो एक घंटे की एक घंटे की कथा सुनते हैं और जैसे ही कथा खत्म होती है हमारी सामने झाड़ के चल देते हैं। रखो पंडित जी किसी का कुछ नहीं बदलता। हनुमान चालीसा बोलने वाले लोग अशांत मिले तो हमने कहा भाई 24 मिनट का कोर्स कर लो। हम

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लोग नहीं निकाल पाए। 24 मिनट का टाइम भी है। ये रियलिटी है। ओके। तो हमने 6-6 मिनट के चार कैप्सूल बनाए कि 6 मिनट कर लो। हम क्या कमाल के लोग हैं। वो भी नहीं कर पाए।

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6 मिनट भी नहीं। अपना सिर पीटना हो, दूसरे का कूटना हो, आधा घंटा लगाएंगे। WhatsApp के मैसेज मिटाना हो, एक-ए घंटे लगे रहेंगे। 6 मिनट नहीं देंगे शांति के

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शांति की तलाश में डिजिटल मीडिया पर जाएंगे घंटों तलाशेंगे तो मुझे ऐसा लगा कि हनुमान भक्त के लिए क्या किया जाए तो मैंने कहा चलो 24 मिनट मत दीजिए 6-6 मिनट के चार

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कैप्सूल मत इनवॉल्व होइए लेकिन दो वक्त दो वक्त ऐसे हैं जब आपके पास शांत होने का सबसे बढ़िया मौका है हम और हनुमान चालीसा मंत्र है। कोई भी मंत्र अग्नि से जुड़ जाए, सांस

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से मिल जाए या गुरु के मुंह से आ जाए और चार्ज हो जाता है। जी तो हमने हनुमान चालीसा की तो सारी पंक्तियों को मंत्र माना है। है भी। हम तो हमने सोचा एक काम करें इसको सांस से जोड़ें। तो मैंने कहा कि भाई आपके पास बिल्कुल

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टाइम नहीं। आप बहुत बिजी हैं लेकिन दो काम तो आप करेंगे ही करेंगे। कितना ही टाइट हो आप आपका स्केेजुअल इतना आपको अलऊ भी ना कर रहा हो तो भी दो वक्त आप यह काम करेंगे ही करेंगे। तो हम

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कहते हैं हनुमान चालीसा के साथ कर लूं। पहला सुबह उठना और दूसरा काम रात को सोना। यह तो करेंगे ही करेंगे। आप कब उठते हैं और कब सोते हैं? मैं इस पर प्रेशर नहीं करूंगा।

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मुझे मालूम है कि कोई सुनता नहीं आजकल। लेट नाइट काम करते हैं, लेट उठते हैं। हम अगर कहेंगे सुबह 6:00 बजे उठकर हनुमान चालीसा करो। यह कमबख्त नींद सुबह 6:00 बजे ही आती है मीठी लोगों को। कईयों को तो इतनी मीठी आती है कि उठाने वाले का कर दें। क्या उठेंगे लोग? तो हम कहते हैं

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अच्छी बात नहीं है। उठना तो सूर्योदय के साथ चाहिए। मैं समर्थन नहीं करूंगा। लेकिन फिर भी यदि आप सुबह सूर्योदय के साथ ना उठ पाए आप जब भी उठे 7:00 बजे 8:00 बजे 9:00 बजे आजकल तो 10 11 वाले भी पराक्रमी

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लोग हैं। हम कहते हैं जब उठो तब करो हम अच्छी बात तो यह है कि 10 से 11:00 के बीच में सो जाओ रात को। लेकिन आप 1:00 बजे, 2:00 बजे, 3:00 बजे चार बजे सोते हैं। तो हम कहते हैं तब करो।

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अब उसका एक साइंटिफिक रीजन है। क्या हो रहा है कि हमारे साधु संतों से तो मैं हाथ जोड़ के क्षमा चाहता हूं। उसके बाद बोलता हूं। वैसे ये अच्छी बात नहीं है। लेकिन अब क्या करें? लोग ही ऐसे हो गए हैं

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तो उनको शांति तो चाहिए। तो मैं कहता हूं कि जब आप सुबह उठे दो तरह के लोग हैं। एक मैरिड, एक अनमैरिड। यदि आप मैरिड हैं तो सुबह उठे अपना पलंग छोड़ दें और अपने बेडरूम में कुर्सी

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लगाएं। आप उठे और कुर्सी पर बैठ गए। अभी तो ब्रश भी नहीं करना। अभी तो बाहर निकलना ही नहीं। वाशरूम भी मत जाना। सीधे कुर्सी पे बैठिए और एकदम स्ट्रेट। स्पाइनल कॉर्ड जितनी स्ट्रेट होगी शांत होना उतना आसान हो जाएगा। हम

16:58

सारा खेल स्पाइनल कॉर्ड का है। जिसको हिंदू में मेरुदंड और बातचीत में रीड की हड्डी कहते हैं। हम इसलिए ध्यान में स्ट्रेट स्पाइनल कॉर्ड का क्योंकि वो जो लाइफ एनर्जी है वो फ्लो वो नीचे से ऊपर आ जाए इजीली वो फेल हो जाएगा। नेवल पोर्शन

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के नीचे पड़ी है। आप अशांत लाइफ एनर्जी नेवल पोर्शन के ऊपर आई। आप शांत क्या होता है? आप 7 आठ घंटे की नींद में जब सोते हैं तो आपकी स्पाइनल कॉर्ड पैरेलल होती है। स्ट्रेट नहीं

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होती। पैरेलल होती है। सोते हैं ना आप पैरेलल होती है धरती के। इंसान और जानवर में फर्क यह है। मनुष्य की स्पाइनल कॉर्ड स्ट्रेट हो

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सकती है। जानवर की 24 घंटे पैरेलल होती है। इसीलिए नींद में आदमी पशु हो जाता है। इसीलिए बेडरूम में आदमी जानवर हो जाता है। क्योंकि आपकी स्पाइनल कॉर्ड को कोई

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चांस ही नहीं है। उसका फ्लो ऐसे ही चल रहा है। अब जैसे ही वह स्ट्रेट हुई, सुबह-सुबह, वही टाइम अटैक कर दो। पहला ही टाइम है। उठ गए सीधे आंख बंद की और सीधे हनुमान चालीसा को थ्रू ब्रीथिंग। जैसे

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मेरा हाथ अंदर जा रहा है। इन्हेल जय हनुमान ज्ञान गुण सागर जय कपीश लोक उजागर। अपने नेवल पोर्शन तक लाना। रामदूत दलित बलधामा। अंजनी पुत्र पवनसुत नामा। होठ बंद करके बोलना है मेंटल

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चटिंग जैसे आपने अच्छा अब क्या है सब ने रट रखी है हनुमान चालीसा जैसे ही हम कहेंगे होठ बंद करके मन ही मन तो सब भूल जाएंगे यस और बोले किधर की गई किधर गई हां होगा हम तो सबके पास मोबाइल है हम बहुत सीधी-सीधी एक टेक्निक बताते हैं कि अपनी

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आवाज में मोबाइल में टैप कर लो फिर उसको ऑन करें उसको सुने और एक इन्हेल एक्सेल तो आप पाएंगे अचानक आप शांत हो जाएंगे क्योंकि थ्योरी है वह तो विज्ञान

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मतलब स्पिरिचुअल साइंस ही है और ऐसे ही सोने के पहले करें तो हमारे कोर्स में दो समय अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके हार्मोनल चेंजेस इतने पॉजिटिव हैं फिर आपको दिन भर 24 घंटे

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फिर आप बेडरूम से निकलिए। अब वैसे ये अच्छी बात नहीं है। हमसे कहते भी हैं लोग कि अरे पंडित जी बिना नहाए धोए हनुमान चालीसा लेकिन प्रैक्टिकली ये है कि जब आप बाहर निकल के नहाते धोते हैं उसके बाद आप हनुमान चालीसा पढ़ते हैं तब तक आप कोई और

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ही हो चुके होते हैं। वो हनुमान चालीसा का फायदा ही नहीं उठा पाते आप। उसके मंत्रों का कोई नहा के कर रहा है, कोई भागते हुए कर रहा है, कोई कार में बैठ के कर रहा है। वो पूजा में तब तक तो दिमाग में इतनी चीजें आ जाती है। इतनी चीजें आ जाती है कि हनुमान चालीसा रूपी मंत्र बाहर ही रह जाते

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हैं। पता नहीं क्या-क्या अंदर आ जाता है। वो कहते हैं ना गुरु जी कि सोते टाइम और जैसे ही हम उठते हैं हमारा जो ब्रेन होता है वो एक अलग एनर्जी में होता है। एकदम काम डाउन हो चुका है। हां। एक छोटे बच्चे की तरह होता है। आप उसमें जो डाल दो उस समय। हम क्योंकि आप 7 आठ घंटे के बाद उठे

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हैं। जी वही मौका है। इसीलिए उस समय की गई मैनिफेस्टेशन बहुत ही लाभदायक है। तो ये मेरा अनुरोध है। बिल्कुल। तो हनुमान चालीसा को सांस के साथ पढ़ा जाना चाहिए। इसका एक सिस्टेटिक कोर्स बना दिया हमने और लोगों

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से हम कहते हैं कि भाई आप कर लो। हमारे यहां आके करते हैं लोग। पूरी दुनिया में हम कराते हैं। जहां हम कथा करने जाते हैं वहां यह कोर्स भी कराते हैं। तो बस फिर से बात वही कहूंगा कि हनुमान के भक्त को कभी उदास और अशांत नहीं होना चाहिए। तो गुरु जी ये सिर्फ मेंटल चटिंग आप बताते हैं या

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फिर अगर कोई वर्बबली करना चाहे या फिर एक प्रॉपर यू नो पूजा पाठ टाइप की दिया जला के की जाए या एक आसन पर बैठकर की जाए या फिर आप सिर्फ यह एडवाइस करते हैं कि सोते और उठते समय सिर्फ मेंटल चटिंग करो। नहीं यह तो लास्ट ऑप्शन है। अच्छा हमने तो आपको

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कहा ना कि पहले तो हमने उसके 6-छ मिनट के चार कैप्सूल बनाए। तो वो करते ही नहीं है लोग। इसलिए हमने लास्ट ऑप्शन दिया है। वरना हम जो कहते हैं वो यह कहते हैं कि भ 6-छ मिनट के चार कैप्सूल बनाएं। तो हमारा पहला कैप्सूल ये होता है कि सुबह आप उठे

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क्योंकि पॉजिटिव एनर्जी 100% होती है उस समय और नेगेटिव एनर्जी जीरो होती है। यह ध्यान रखना चाहिए। जिन लोगों को हनुमान चालीसा शांति की तलाश हो उनको एक बात और मालूम होना चाहिए जो हमारे कोर्स में हम रिक्वेस्ट करते हैं कि चार बार हमारा

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एनर्जी लेवल चेंज होता है। हम लोग जानते ही नहीं जो लोग शांति की तलाश में ज्यादातर लोग नहीं जानते कि हमारा एनर्जी लेवल चार बार बदलता है। सुबह सूरज उगता है ना उसके एक घंटा पहले

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एक घंटा बाद हमारा एनर्जी लेवल 100% पॉजिटिव जीरो नेगेटिव होता है। यदि आप सूर्योदय से 1 घंटा पहले एक घंटा बाद तक उठ जाएं और वो जो कॉस्मिक एनर्जी की जो पॉजिटिविटी है उसको अपनी लाइफ एनर्जी से कनेक्ट कर लें। फिर वह कोई भी

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काम करें, सैर करने जाएं, रियाज़ करें, मेडिटेशन करें, आपको रिजल्ट बहुत अच्छे मिलेंगे। पर अब नींद भी उसी समय बहुत मीठी आती है। तो लोग कहते हैं बहुत मीठी नींद आती है। उठ ही नहीं पाते। कभी आपने सोचा है कि वह नींद में इतनी मिठास क्यों होती

22:27

है सुबह? वो नींद की मिठास नहीं वो एनर्जी लेवल 100% पॉजिटिव होने की। आप जो भी करेंगे आपको मजा आएगा। आप मेडिटेशन करिए उसको। क्यों?

आप सो रहे हैं तो सोने में मजा आ रहा है। एक पलंग छोड़ के तो देखिए।

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दूसरी बार एनर्जी लेवल चेंज होता है दोपहर 12:00 से 2 के बीच में। 50% पॉजिटिव 50 नेगेटिव सुबह 100 पॉजिटिव था जीरो नेगेटिव था दोपहर को 50-50 हो गए और दोपहर को 12 से 2 के बीच में अब यही

23:00

टाइम हमारे नॉर्मली हम लोगों का यही जो टाइम होता है ये वर्क प्लेस पे होता है तो हमको ऐसा लगता है ए्जायट है फॉलो अप है बॉस का ये है वो है ये मीटिंग है वो रिजल्ट देना है वो टारगेट है वो एमआईएस भरना पता नहीं क्या-क्या चलता है आदमी को

23:15

तो उसको उसको लगता है वर्क प्लेस का प्रेशर है। ऐसा कोई प्रेशर नहीं है। एक्चुअली आपका एनर्जी लेवल उस सुबह जो जीरो था ना नेगेटिव वो 50 हो चुका है। तो आपकी बॉडी में और खाने का टाइम अलग है वो लंच का। तो आपकी बॉडी में ऑलरेडी ऐसे

23:33

हार्मोनल चेंजेस हो रहे हैं जो आपको डिसबैलेंस कर रहे हैं। चाहे घर में ग्रहणी हो। 12 से दो के बीच में वह भी टेंशन में ही रहती है। खाना बनाना यह नाना वह भी करना यह भी देखना। उसको भी उतना ही टेंशन है।

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फिर अपने देश में तो एक इंटरनेशनल प्रॉब्लम है जिसको बाइयां कहते हैं। 10:00 बजे किसी के घर बाई फोन कर दे कि आज मैं नहीं आ रही। फिर एनर्जी लेवल देखिए। क्यों? क्योंकि आप समझ नहीं पा रहे हैं। उस एनर्जी लेवल को मेंटेन करने के

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लिए मैं लोगों से एक रिक्वेस्ट करता हूं कि जब कभी भी आप लंच लें 2:00 बजे 3:00 बजे डायरेक्ट मत खाइए। 1 मिनट रुकिए। 1 मिनट भी बहुत बोल दिया मैंने। आधा मिनट और भोजन करने के पहले अपनी लाइफ

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एनर्जी अपने नेवल पोर्शन से ऊपर उठाए बिना ना करें। उसकी छोटी-छोटी टेक्निक है। एक दो जर्क दे के। क्या होता है कि जब हम खाना खाते हैं तो वो जो उस खाने को पचाने के लिए उसके डाइजेशन के लिए जो एनर्जी लगती है वो अगर नीचे पड़ी है तो वही खाना जहर

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हो गया। ऊपर उठा के करिए तो 12 से दो में भी फ्रेश रहेंगे। अब 5 6:00 बजे तक आते-आते तो लोगों की बस मोबाइल की बैटरी तो डिस्चार्ज होती तो प्लग लगा लोगे। इसका क्या करोगे? अब आदमी

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इतना डल हो जाता है। इतना इरिटेशन में आ जाता है। काम का पैकअप करता है और घर चला जाता है। आप सोचिए बिना होमवर्क किए घर जाता है। वह ऑफिस का तो सब कागज वागज ठीक ढक लेता है। बंद कर कल देखूंगा लेकिन उसकी घर जाने

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की कोई तैयारी नहीं है। ऐसा थका मादा चिड़चिड़ा बेचैन जाता है। अब जो घर में बैठे हैं वो कोई गुलाब का फूल ले तो नहीं खड़े हैं। आइए आइए बड़े थके माने आए हैं। वह भी चार्ज बैठे हैं। अब आदमी की रात भी

25:25

बिगड़ी। पक्का बिगड़ी। कोई कहता नहीं किसी से। कई तो घर जाना ही पसंद नहीं करते। शाम को कौन जाएगा पंगा चालू हो जाएगा। आप सोचिए शाम को 5:00 बजे से 7:00 बजे के बीच

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में एक बार फिर एनर्जी लेवल चेंज हुआ। तीसरी बार और वो जो सुबह 100% पॉजिटिव जीरो नेगेटिव था। शाम को उल्टा हो गया।

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शाम को 100% नेगेटिव और पॉजिटिव एनर्जी लेवल जीरो। इसलिए दुनिया में 90% डिप्रेशन के केस शाम को हुए। शाम को ही शाम को किसी को घर में अकेले छोड़ दो पागल हो जाए लोग।

26:10

शाम कांटे नहीं कटती। शाम को अपना प्रिय व्यक्ति बहुत याद आता है। शाम को बेचैनी सी होने लगती है। तो हमने कुछ अपने कोर्स में ऐसी टेक्निक्स बनाई है कि शाम के समय जब एनर्जी लेवल 100% नेगेटिव है। आप कुछ छोटे-छोटे काम कर लो। चाहे घर में हो चाहे

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वर्क प्लेस पे हो। दुनिया में देखिए बहन जी अगर मेरी बात को लोग गंभीरता से लें तो शाम को जो 100% एनर्जी लेवल नेगेटिव है उससे बाहर निकल सकते हैं।

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मैं कोई नई बात नहीं कर रहा हूं। यह स्पिरिचुअल साइंस है। दुनिया में दो ही प्राणी ऐसे हैं जिनके शरीर से 24 घंटे पॉजिटिव एनर्जी

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निकलती है। एक हमें जन्म देने वाली मां और दूसरी गौ माता। गाय। तो अब गाय के पास तो आप जा नहीं सकते और अपनी मां के पास भी नहीं जा सकते रोज।

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लेकिन एक छोटा सा प्रयोग है। बहुत सारे लोगों ने किया है और कर रहे हैं। हम अपनी दोनों बहुओं के बीच में ये जहां माताएं बहने बिंदी लगाती हैं ना उसके थोड़ा सा नीचे आज्ञा चक्र होता

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है। अगर कोई आदमी आंख बंद करके भीतर से अपने आज्ञा चक्र पर देखे थोड़ा सा उसको प्रकाश महसूस होगा। एक डेढ़ मिनट देखें। कैसी नेगेटिविटी हो, कैसा ही अशांत हो, वह

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शांत हो जाएगा। इस पर अभी भी विज्ञान रिसर्च कर रहा है कि कोई अशांत आदमी अपने जन्म देने वाली मां मां जीवित हो या दिवंगत इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पर भीतर से अपनी मां का फिगर, अपनी मां की पिक्चर, उसका फोटो देखे देखे, देखे एक

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डेढ़ मिनट में शांत हो जाएगा। पक्का है मतलब। करके देख ले कोई। क्यों? ऐसा होता है और ऐसी गाय गाय के कंडे हम तो देखिए मैं रहता हूं उज्जैन में शांतम में हम

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क्या करते हैं गाय के कंडों को पंडित लोगों से कहते हैं हनुमान चालीसा बोल के बनाओ छोटे-छोटे कैग बनाओ हनुमान चालीसा बोल के एक तो गाय के कंडे वैसे ही बहुत चार्ज होते हैं ऊपर से हनुमान चालीसा फिर हम कहते हैं इन कंडों से हवन करो हनुमान चालीसा से हवन भी कराते हैं आपने दूसरा

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तरीका पूछा इसलिए बता रहा हूं आपने पूछा था कि सांस के अलावा भी कोई तरीका अग्नि से जोड़ने का है। हनुमान चालीसा रूपी मंत्र को एकदम चार्ज हो जाएगी। तो यह दो बातें हैं और रात को 9:00 से 11 के बीच में फिर एनर्जी लेवल चेंज होता है। शाम को जो 100% नेगेटिव था वह गिरता है। जीरो

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पॉजिटिव उठता है। अब 9:00 से 11:00 के बीच में ही हम वो सारे काम करते हैं। उठपटांग सारा काम मतलब तो वो एनर्जी लेवल फिर बैल फिर सुबह उठते हैं। फिर सुबह उठते एंग्जायटी हो जाती है। फिर सुबह उठते कई लोग तो उठते ही

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शुरू हो जाते हैं। आज बहुत अच्छा नहीं लग रहा है। पता नहीं क्यों अच्छा लगा। अरे तो रात को तुमने जो कर्म किए वो सुबह बोलेंगे ही सही। तो आप एक काम कर सकते हैं आप मतलब जो लोग मुझे सुन रहे हैं कि भ रात को सोने के पहले 10-15 मिनट पहले बस ज्यादा टाइम नहीं

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लूंगा। 15 मिनट समझ लो। कोई भी टीवी, लैपटॉप और मोबाइल छोड़ दो। जहर है जहर। अगर आप इसको हाथ में लेकर सो रहे हैं।

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तो आप जहर पी के सोए फिर सवाल पूछते रहोगे दुनिया भर में कितने पॉडकास्ट हो जाएंगे यही सवाल उठते रहेंगे शांत कैसे हो क्योंकि शांत होने का वो जो मौका था वो चूक गया तो गुरु जी इनिशियली इसको कितने

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दिन तक करना चाहिए जो आपने मेडिटेशन बताई सुबह और शाम वाली और दूसरा क्या महिलाएं भी इसे कर सकती हैं स्पेशली मासिक धर्म के टाइम क्या वो रेगुलरली इसकी मेंटल चटिंग कर सकती हैं यस मासिक धर्म के समय शुद्धि अशुद्धि का

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जो मामला होता है उसमें कोई मूर्ति हो तो ना छुएं ओके पूजा पाठ भले ही आपको ऐसा लगे ना करें लेकिन मेंटल चटिंग कर सकते हैं मेडिटेशन तो 365 दिन करना है हम ऐसा भी नहीं है कि इतने दिन करें और फिर रिजल्ट देखें

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कभी-कभी बहुत सारे लोग ये भूल करते हैं कि हमने 15 दिन मेडिटेशन किया फिर कुछ हुआ तो है ही नहीं फिर हमें ही फोन करते हैं कुछ नहीं हुआ पंडित जी ऐसा नहीं होता इसका कोई स्के स्केल नहीं है। इसका सिर्फ एक ही स्केल है कि आप करेंगे तो कुछ ना कुछ

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मिलेगा। किया हुआ व्यर्थ नहीं जाएगा। बिल्कुल। जैसे हमने पानी पिया खाना खाया तो पेट में वो बनेगा और मलमूत्र बनेगा। मतलब वो निकलेगा ही निकलेगा। ऐसे ही अगर आप मेडिटेशन करते हैं तो उसका रिजल्ट आएगा ही आएगा। तो

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एक्शन इटसेल्फ इज अ मेडिटेशन। करते चलिए। कोई उसका मेजरमेंट नहीं है। पता नहीं किसी का छ महीने में आनंद आने लगे, किसी को सालों तक ना आए। पर जितना करेंगे उतना मिलेगा जरूर। तो ये

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लाइफस्ट है। इसको अलग से मत मानिए कि एक महीने मेडिटेशन करेंगे फिर देखेंगे। करना ही है। बस इसको नेचुरल बना लीजिए। अपनी पर्सनालिटी का पार्ट ही। टूथ सोने के पहले टूथपेस्ट ले यूज़ टूथब्रश करते हैं। सोने उठने के बाद करते हैं। तो आप ऐसा क्या

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करते हैं कि महीने भर बाद छोड़ देंगे। कर रहे हैं। तन की शुद्धि हम स्नान से धन की शुद्धि दान से। हां और मन की शुद्धि ध्यान से। वाओ। सो ब्यूटीफुल गुरु जी। तो ये बस

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रेगुलर करिए। हां। जी। तो क्या गुरु जी हम चक्रास को भी हील कर सकते हैं हनुमान चालीसा मेडिटेशन के थ्रू? श्योर। और कैसे देखो आप इसमें एक कैलकुलेशन है जी हमारे सात चक्र हैं। हमारी जो स्पाइनल कॉर्ड उसके बॉटम में पहला चक्र मूलाधार हम उससे

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तीन उंगल ऊपर हमारे नेवल पोर्शन से तीन उंगल नीचे बीच में स्वाधिष्ठान उसका नाम स्वाधिष्ठान है। है ना? फिर जो मणिपुर पे है इसका नाम है यह नेवल पोर्शन पे मणिपुर हार्ट

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अनाहत विशुद्ध आज्ञा सहस्त्रार ये सात चक्र हुए नाम याद नहीं है छोड़िए लोकेशन याद रखिए अब क्या होता है एनर्जी नीचे पड़ी है

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आप अशांत ये नेवल पोर्शन के नीचे पड़ी आप अशांत नेवल पोर्शन के ऊपर आई अब शांत यह बेसिक थ्योरी पकड़ के चलना आप तो नॉर्मली साइंस में एक रूल है ग्रेविटेशनल फोर्स का पृथ्वी

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गुरुत्वाकर्षण के कारण ऊपर उछाली चीज को नीचे खींचती है। जी ग्रेविटेशनल फोर्स है। कोई भी चीज हो तो पृथ्वी खींचती है। ऐसे ही पृथ्वी ने हमारी लाइफ एनर्जी को भी नीचे खींच रखा है। तो 90% बल्कि मैं तो

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कहूंगा 99% टाइम हमारी लाइफ एनर्जी हमारी स्पाइनल कॉर्ड की बॉटम पे पड़ी रहती है। वो है मूलाधार चक्र। वहीं हमारे काम केंद्र है। जिसे कुंडली नहीं कहते। अभी कुंडली तो एक प्रोसेस है उसकी। ओके। ऊपर

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नीचे पड़ा है मूलाधार चक्र पे उसका सारा पावर। हम और मूलाधार चक्र का स्वभाव है नेगेटिविटी वासना। इसलिए 99% लोग अगर ऊर्जा वहां पड़ी है पूरी

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खोपड़ी में वासना चलेगी। कोई बोलता नहीं। लेकिन अगर ऊर्जा नीचे पड़ी है नाभि के तो आदमी को औरत का शरीर और औरत को आदमी के शरीर के अलावा कुछ नहीं

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दिखता। सार्वजनिक रूप से आदमी औरत से बात करे। औरत आदमी से बात करे। इतने भद्र, इतने शालीन, इतने कुलीन, इतने चरित्रवान नजर आएंगे। लेकिन उस समय आपके भीतर जो चल रहा होता है

34:28

दो ही लोग जानते हैं। आप और आपका भगवान कोई नहीं जानता। अगर एनर्जी नीचे पड़ी है तो वो नीचे पड़ी रहती। उसको उठाना पड़ता है। और आप एनर्जी को जब ऊपर उठाएं

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तो उसका एक प्रोसेस है। उस चक्र पे हल्का सा सांस में और मंत्र का एक धक्का दीजिए। आप सांस में कोई मंत्र जोड़ लें और उसका धक्का किक करिए उसको हल्का-हल्का हल्का पुश

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करिए तो अगरबत्ती के धुएं की तरह वो एनर्जी ऊपर उठेगी। फिर दूसरे चक्र पे फिर वहां करिए फिर यहां आई। फिर यहां करिए फिर यहां आई। फिर यहां धक्का दीजिए। मंत्र और सांस से तो यहां आई। मंत्र और सांस से भीतर ही भीतर यहां करिए तो यहां आएगी। तो

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योग में कल्पना का बड़ा महत्व है। आप क्या इमेजिनेशन कर रहे हैं वह होने लगता है। तो हमने क्या किया कि 43 कपलेट्स हैं। जी शुरू के दो दोहे हैं। उसको सांस में घोल के सबसे पहले चक्र पर रखो। दोहे ऐसे सांस

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में रखो। श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार वरण रघुवर विमल सजोदायक फल चार सांस में रखा और उस चक्र पर रखा और कल्पना करिए अगरबत्ती की धुएं की तरह जलते हुए कंडे में लकड़ी लगाओ तो जैसे आग और धुआं ऊपर

35:50

उठता है ऐसे उठ रही है फिर दूसरे चक्र पे आई अब दो दोहे चले गए अब आठ चौपाई बची क्योंकि 40 चौपाई है तो आठआ चौपाई के पांच सेट आपके पास है पहले आठ चौपाई यहां रख रखिए। फिर यहां से ऊपर उठी। फिर नाभि पे

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अगली आठ, फिर अगली आठ, फिर अगली आठ, फिर अगली आठ और आखिरी दोहा यहां। यह एक छोटी सी प्रोसेस है जो हमने अपने मेडिटेशन कोर्स में बनाई है। तो आपकी ऊर्जा हनुमान चालीसा सांस में घुली और ऊपर

36:26

उठी और आप पाएंगे। एकदम रिजल्ट मिलेगा। देखिए आपको एक घटना सुनाते हैं। उसमें हमारी तारीफ हो इसलिए नहीं सुना रहे। क्लेरिटी और कॉन्फिडेंस आए सुनने वालों को इसलिए मैं दिल्ली में एक पुष्पा बोहरा बहन

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जी हैं। उनके यहां सुंदरकांड पे हमारे संगीत की मंडली के लोग संगीत भी गा रहे हैं और हम सुंदरकांड की व्याख्या कर रहे हैं। उन्होंने ऐसा कार्यक्रम कराया। निजी बातें नहीं करना चाहिए। पर

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लोगों को कॉन्फिडेंस आए और आपने सवाल क्या पूछा कि चक्रों पे भी हनुमान चालीसा का प्रयोग हो सकता है तो मैं उत्तर दे रहा हूं। देखिए है ना निजी बात नहीं कर रहा हूं। हम क्षमा भी चाहूंगा उन लोगों से जिनके नाम आ रहे हैं। पर सच लोगों को प्रेरणा मिले इसलिए तो हम वहां दो तरह से

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मेडिटेशन कराते हैं। एक इन्हेल करते समय चौपाई अंदर गई बाहर गई और दूसरा चक्रों पे कराते हैं। चक्रों वाला थोड़ा टफ है क्योंकि वो याद रखना पड़ता है किस चक्र में लेकिन सांस वाला आसान है। तो हमने वहां हमारा जब प्रवचन सुंदरकांड पे समाप्त

37:32

हुआ तो यह वाली कराई। पुष्पा बोहरा जी बहन जी की समधन है हेमा मालिनी जी जो लीडर भी हैं और बड़ी नामी फिल्म एक्ट्रेस है वो भी आई उन्होंने

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हमारा हनुमान चालीसा वाला जो एक सांस भीतर एक सांस बाहर वाला किया और जब हमारे यहां प्रवचन खत्म हुआ तीन घंटे का था वो आखिरी के एक घंटे में आई तो हम लोग भोजन साथ में कर रहे थे और संयोग से मैं और वो अकेले ही थे तो हेमा जी ने कहा कि आपने जो अभी

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हनुमान चालीसा से मेडिटेशन कराया। मैं भी हनुमान चालीसा की भक्त हूं। रेगुलर करती हूं। लेकिन मुझे ये बड़ा इजी लगा। आपका वाला जो आपने केवल एक सांस भीतर एक सांस बाहर इन्हेल एग्ज़ल से जो कराया। पर मैं

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जो करती हूं। मैं चक्रास पे करती हूं। मैं हनुमान चालीसा की दोहे चौपाई चक्रास पे रख के करती हूं। तो हम सोचने लग गए कि चक्रास पे तो देश में अपन ही करा रहे हैं। इस तरह से हम तो पता नहीं किसी ने इनको भी सिखाया

38:38

होगा। करा होगा। ठीक है। अपना कोई पेटेंट तो है नहीं ऐसा। लेकिन हमने हनुमान जी से कहा कि हनुमान जी महाराज ये तो अपन करा रहे हैं। तो मैंने कहा आप बताइए। बोले मैंने तो मेरे मोबाइल में है बस मैं ऑन कर देती हूं और सुन के एक-एक चक्र पर रखती हूं

38:54

मैं। पहले चक्र पे दो दोहे फिर दूसरे चक्र पे आठ चौपाई आठ आठ तो मैंने कहा जरा सुनाइए। उन्होंने ऑन किया तो हमने कहा यह तो हमारी आवाज है। तो वो बड़ी खुश हुई। अरे बोले मेरे किसी फ्रेंड ने भेजी तो मैं आपकी आवाज पे करती हूं। मैंने कहा ये तो

39:10

मेरी आवाज है। तो मुझे इस बात की कोई खुशी नहीं थी कि इतने बड़े व्यक्ति ने हम मुझे इस बात की खुशी हुई कि चलो जो चक्रों का प्रयोग हनुमान चालीसा का हमने किया। वो ऐसे लोग भी कर रहे हैं और उनको मिल रहा

39:26

है। आज हेमा मालिनी जी की योग्यता, उनकी प्रतिष्ठा, उनकी कला भेजोड़ है। वो मान्य है। हम सबके लिए सम्मान नहीं है। वो कर रही हैं। और उन्होंने मुझे अच्छी तरह याद है। मुझसे एक बात बोली कि मैं धर्म जी को मतलब उनके हस्बैंड धर्मेंद्र जी को कहती

39:43

हूं कि वो हनुमान चालीसा चक्रास पे किया करें। वो बोले धर्म जी भी बहुत हनुमान चालीसा को मानते हैं। तो धर्म जी ने कहा ये चक्रास का चक्कर मुझे समझ नहीं आता। कोई इजी लाओ। तो बोले ये जो आपने सांस के साथ ये मैं उनको बताऊंगी। अब देखिए ये बात

39:59

सिर्फ मैंने इसलिए आपको सुनाई कि कुछ तो है जो लोग कर रहे हैं। जी कुछ तो मिल रहा होगा। यह कोई सामान्य लोग तो नहीं है। हम ये अपने परिश्रम से अपनी अपनी योग्यता से यहां पहुंचे हैं। और उनका भी सहारा बनी

40:14

हनुमान चालीसा। तो हम लोग क्यों नहीं अपना सकते इसको? ये मैं कहना चाहता हूं। बहुत ही सुंदर गुरुजी और आई एम श्योर कि जो आपने तकनीक आज बताई है हमारे व्यूअर्स भी उसे यूज करेंगे और हम सब उसे यूज करेंगे और बहुत ही

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बेनिफिशियल होने वाला है हम सबके लिए हनुमान जी की ब्लेसिंग्स के लिए। तो गुरु जी जाते-जाते आप हमारे व्यूअर्स को क्या मैसेज देकर जाना चाहेंगे? स्पेशली वो लोग जो हनुमान चालीसा से मेडिटेशन शुरू करना चाहते हैं?

एक बात कहना चाहूंगा हनुमान चालीसा से मेडिटेशन करने का एक

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बड़ा फायदा होता है। हमारी बॉडी से निकलने वाले वाइब्रेशन पॉजिटिव हो जाते हैं। ये पक्की बात है। हम तो जब आप अपने वर्क प्लेस पे हैं। अपने बॉस के सामने बैठे हैं। अगर आप यह प्रयोग करेंगे तो आपके बॉस

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को आपसे बात करना अच्छा लगेगा। भले ही वह कहे नहीं पर वह कहेंगे कि यह जब भी आते हैं या आती हैं अच्छा लगता है। आपके सबोर्डिनेट को आप अपने वाइब्रेशन के थ्रू थॉट आपकी जो भी प्रोसेस है ईजीली पहुंचा

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सकती हैं। हम तो वो हमारी वाइब्रेशन में आ जाती है। पॉजिटिविटी क्योंकि वर्क प्लेस पे बहुत सारी नेगेटिविटी काम करती है। कॉन्शियसनेस काम करती है। ईगो टकराते हैं। हर जगह ही गुरु जी मैं बिलीव करती हूं। हम कहीं भी जाए हमारा ओरा प्रोटेक्टेड रहना चाहिए। राइट? तो हनुमान चालीसा एक और घर

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में मां-बाप बच्चों को यदि कोई बात कहना चाहे और बच्चे ना सुने हनुमान चालीसा की सातवीं चौपाई यदि कोई मदर अपनी नेवल पोर्शन पे सांस से उतार ले विद्यावान गुणी अति चातुर राम काज को और फिर अगर बच्चों

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से बात करें आप देखेंगे मीटर अलग डिसाइड होता है। हनुमान चालीसा में कुछ पंक्तियां ऐसी हैं कि हस्बैंड वाइफ अगर उसको रेगुलर करें तो उनका भी लेवल ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग बड़ा पॉजिटिव हो जाएगा। कौन सी है वो पंक्तियां? बहुत लोग जानते हैं। अगली बार बता देंगे। नहीं बता थोड़ा बहुत तो

42:10

सस्पेंस रखी है। लेकिन फिर भी अगर उनको ऐसा लगता है कि भाई हम दोनों के बीच में कोई उलझन है। कोई समझ नहीं बन पा रही है। हमको ऐसा लगता है कि तो सब सुख लहे तुम्हारी शरणा तुम रक्षक को डरना। पतिप का

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रिश्ता सुख पर आधारित है। जी। दोनों एक दूसरे से सुख चाहते हैं। दोनों एक दूसरे को दुख देना भी नहीं चाहते पर देवी अननोइली देवी दे देते। सब सुख लहे तुम्हारी शरणा। आंख बंद करें। हम यहां

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हृदय पे सब सुख लहे तुम्हारी शरणा तुम रक्षक गुण सांस चक्र हनुमान चालीसा रूपी मंत्र और आपकी श्रद्धा ये प्रयोग करें रिजल्ट मिलेगा। तो ऐसे बहुत सारे चीज तो मेरा तो सब लोगों से कहना है कि हनुमान

42:56

चालीसा को केवल जोर से ना पढ़ लें। हम् पढ़ना है इसलिए ना पढ़ लें। आदत ना बना लें, स्वभाव बनाएं। उसे एक लाइफ स्टाइल नेचुरली अपने अंदर वो पर्सनालिटी के अंदर ले आए। बिल्कुल पक्का। तो गुरु जी आज के इस एपिसोड को मैं एक चौपाई के साथ ही आपके साथ खत्म करना चाहूंगी। जरूर तो आप हम

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किसी चौपाई के साथ उसे खत्म करते हैं। विद्यावान गुणी अति चतुर राम काज करबो आतुर। बिल्कुल धन्यवाद गुरु जी। बहुत ही इंसाइटफुल था आज का यह डिस्कशन हमारे लिए और हमने हनुमान चालीसा की पावर को रियलाइज

43:30

किया। आई होप आपने भी किया होगा। आपको आज का यह एपिसोड कैसा लगा? आप मुझे कमेंट सेक्शन में बताइए कि क्या आप हनुमान चालीसा का रोज पाठ करते हैं। क्या आप भी मेडिटेशन करने वाले हैं हनुमान चालीसा के थ्रू। वो मेथड्स जो आज गुरुजी ने बताए अगर आप करते हैं तो बहुत ही लाभदायक होने वाला

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है आप सभी के लिए। तो ज्यादा से ज्यादा इस पॉडकास्ट को शेयर कीजिए और मिलते हैं जल्दी एक और बेहतरीन पडकास्ट के साथ वापस से गुरुजी के साथ और आपके जो भी डाउट्स हैं जो आप चाहते हैं हम गुरुजी से आगे के पॉडकास्ट में पूछे आप मुझे कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। नमस्ते।